उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की आलोचना से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर असंतोष व्यक्त करना अपराध नहीं माना जा सकता।
प्रदेश की कानून व्यवस्था पर जंगल राज की टिप्पणी से कोई आपराधिक केस नहीं बनता है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अंग है।
न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर असंतोष व्यक्त करना आपराधिक मामला नहीं है।
यह हमारे संवैधानिक उदार लोकतंत्र की एक पहचान है, जो संवैधानिक रूप से संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत संरक्षित है। इसी के साथ कोर्ट ने रमाबाईनगर के भोगनीपुर थाने में दर्ज एफआईआर और उसके परिप्रेक्ष्य में कार्यवाही निरस्त कर दी है।
सोशल मीडिया योगी सरकार के खिलाफ टिप्पणी करने वालों के खिलाफ दर्ज एफआईआर खारिज।
#बजाते_रहो pic.twitter.com/AoMkOXkrtn— 𝙸𝚖𝚛𝚊𝚗 𝙰𝚕𝚕𝚊𝚑𝚊𝚋𝚊𝚍𝚒 ●●● (@Imran_9935) December 26, 2020